The Greatest Guide To Shodashi
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The Matrikas, or the letters from the Sanskrit alphabet, are regarded the delicate type of the Goddess, with Every letter holding divine electric power. When chanted, these letters Incorporate to variety the Mantra, creating a spiritual resonance that aligns the devotee Along with the cosmic Vitality of Tripura Sundari.
The worship of these deities follows a selected sequence often called Kaadi, Hadi, and Saadi, with each goddess affiliated with a selected approach to devotion and spiritual follow.
चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥
वर्गानुक्रमयोगेन यस्याख्योमाष्टकं स्थितम् ।
ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
संरक्षार्थमुपागताऽभिरसकृन्नित्याभिधाभिर्मुदा ।
The Shodashi Mantra is usually a 28 letter Mantra and so, it is probably the most straightforward and best Mantras that you should recite, bear in mind and chant.
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण Shodashi माना जाता हैं।
केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
Shodashi also signifies sixteen as well as perception is always that for the age of sixteen the Actual physical overall body of a human being attains perfection. Deterioration sets in soon after sixteen decades.